पटना: बिहार विधानसभा की चार सीटों पर बीते 23 नवंबर को आए परिणाम प्रशांत किशोर की पार्टी के लिए उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा. उनकी पार्टी चारों में से कोई सीट जीत नहीं पाई. तीन सीटों पर तीसरे स्थान और एक सीट पर चौथे स्थान पर रहकर करीब दस प्रतिशत मत प्राप्त किया.
गया जिले के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में जन सुराज पार्टी (जेएसपी) के उम्मीदवार जितेंद्र पासवान को 37,103 मत प्राप्त हुआ. वे यहां तीसरे स्थान पर रहे. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र राम मांझी की बहू और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) की दीपा मांझी ने 53,435 वोट पाकर सीट पर कब्जा किया.
तरारी विधानसभा क्षेत्र में जन सुराज पार्टी की उम्मीदवार किरण सिंह 5,592 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहीं जबकि 78,564 मतों के साथ भाजपा उम्मीदवार विशाल प्रशांत विजयी हुए.
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में जेएसपी उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह 6,513 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे. भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह ने 62,257 वोट पाकर सीट पर कब्जा किया.
बेलागंज से जेएसपी उम्मीदवार मोहम्मद अमजद तीसरे नंबर पर रहे. उन्हें 17,285 वोट मिले। इस सीट से जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी 73,334 वोट पाकर जीतीं.
बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए प्रशांत किशोर के पास पूरा एक साल है. बिहार के मतदाताओं को स्वच्छ राजनीति देने का वादा करते हुए प्रशांत किशोर ने दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर जन सुराज पार्टी का गठन किया था. चार विधानसभा उपचुनाव में एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच द्विध्रुवीय मुकाबला माना जा रहा था लेकिन जब जन सुराज पार्टी ने सभी चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे तो उपचुनाव त्रिकोणीय हो गया. खुद को पार्टी अध्यक्ष के रूप में नामित करने के बजाय, किशोर ने एक पूर्व आईएफएस अधिकारी मनोज भारती को इस पद पर नियुक्त किया.
उपचुनाव अभियान के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चार और लालू प्रसाद ने एक सभा को संबोधित किया जबकि प्रशांत किशोर ने चार निर्वाचन क्षेत्रों को कवर करते हुए 125 सभाओं को संबोधित किया. अपने संबोधनों में उन्होंने मतदाताओं से कहा कि लालू और नीतीश ने तीन दशकों से अधिक समय तक बिहार पर शासन किया है और उनका समय समाप्त हो गया है. उन्होंने कहा कि मैं आपको पिछले 34 वर्षों से लालू और नीतीश के शासन से थक चुके लोगों के लिए एक विकल्प (जेएसपी के रूप में) दे रहा हूं.
उपचुनाव के नतीजे आने के बाद प्रशांत किशोर ने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने हार स्वीकार की. साथ ही कहा कि वे वापसी करेंगे. उन्होंने कहा कि हम 2025 के विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर और अधिक तैयारी के साथ चुनाव लड़ेंगे.
बिहार की राजनीति को वर्षों से देख रहे वरिष्ठ पत्रकार अरुण पाण्डेय ने बातचीत में कहा कि बिहार फिलहाल जाति के बंधन से आजाद नहीं हो पाया है. प्रशांत की कोशिश अच्छी थी. उन्होंने इसके लिए मेहनत भी की लेकिन नतीजे स्पष्ट कह रहे हैं कि नीतीश कुमार का विकल्प फिलहाल बिहार में नहीं दिख रहा है. दूसरी ओर, राजद के पास भी उनका खुद का वोट बैंक है, जो उनसे फिलहाल झिटकता नजर नहीं आ रहा है. प्रशांत राजद-कांग्रेस के वोट बैंक को तोड़ने में कामयाब होते हैं, तो बिहार में वे विकल्प बन सकते हैं.
हिन्दुस्थान समाचार