शराबबंदी को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट के अनुसार राज्य में शराबबंदी से अवैध शराब का धंधा बढ़ रहा है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस, आबकारी, कर, परिवहन विभाग के शराब पर रोक को पसंद कर रहे हैं और इसकी वजह से उनकी कमाई हो रही है. आगे कोर्ट ने कहा कि शराबबंदी से गरीबों पर अत्याचार बढ़ा है, लेकिन पुलिस और तस्करों ने आपसी मिलीभगत से अपनी मोटी कमाई कर रहे हैं. इस मामले पर पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पूर्णेदु सिंह ने सख्त टिप्पणी की है.
उन्होंने कहा कि शराबबंदी ने बिहार में शराब और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी के एक नए अपराध को बढ़ावा मिल रहा है. बिहार शराबबंदी और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 को राज्य सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के उद्देश्य से लागू किया था. लेकिन कई कारणों से इसे गलत दिशा मिल गई.
बता दें कि ये पूरा मामला एक पुलिस अधिकारी को डिमोट किए जाने से जुड़ा था. जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. 2020 में बिहार पुलिस के एसआई मुकेश कुमार पासवान को डिमोट कर दिया गया था. मुकेश पासवान के थाना इलाके से थोड़ी दूर पर एक्साइज विभाग ने रेल मारी थी, जिसमें विदेशी शराब बरामद की गई थी. इस छापेमारी के बाद 24 नवंबर 2020 को सरकारी ने मुकेश पासवान को डिमोशन कर दिया था.
सरकार ने डिमोशन का आधार ये बताया कि जिस पुलिस अधिकारी के इलाके में शराब पकड़ी जाएगी,उसके खिलाफ एक्शन होगा. मुकेश पासवान ने जांच में खुद को निर्दोष भी बताया. एसआई ने अपना पक्ष रखते हुए ये भी कहा कि उन्हें कैसे पता चलेगा कि मेरे इलाके के किस घर में शराब है.विभाग ने जब मुकेश का पक्ष नहीं माना तो ये मामला हाईकोर्ट चला गया. कोर्ट ने इस मामले में एसआई मुकेश पासवान को राहत दी और शराबबंदी कानून पर तल्ख टिप्पणी की.