श्री काशी पुराधिपति की नगरी में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी देव उठनी (हरि प्रबोधिनी ) एकादशी पर मंगलवार को श्रद्धालुओं ने पुण्य सलिला गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. दान पुण्य के बाद श्री हरि की आराधना कर गंगाघाटों पर भगवान शालिग्राम-तुलसी का पूरे श्रद्धा के साथ विवाह रचाया.
प्रबोधिनी एकादशी पर प्राचीन दशाश्वमेधघाट,शीतलाघाट,पंचगंगा,अस्सीघाट,भैसासुरघाट पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु कुंहरे और धुंध के बीच भोर से ही स्नान के लिए उमड़ पड़े.स्नान के बाद लोग दानपुण्य कर श्री हरि की आराधना कर रहे हैं.हरि प्रबोधिनी एकादशी से चराचर जगत के पालनहार श्री हरि भी चार मास की योग निद्रा से जाग गये. श्री हरि के योग निद्रा से जागने के साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जायेगा.
एकादशी पर शहर के प्रमुख चौराहों, मोहल्लों में लगे गन्ने की अस्थाई दुकानों पर लोगों ने जमकर खरीददारी की. एकादशी पर पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ में शाम को तुलसी विवाह पूरे धूमधाम से होगा.मठ से जुड़े संतों के अनुसार शाम को गोधूलि वेला में गणेश घाट से श्रीमठ तक गाजेबाजे के साथ भगवान शालिग्राम की बारात निकाली जाएगी. मठ में रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य के सानिध्य में द्वारपूजा होगी.पूजन-अर्चन के साथ ही विधिवत शालिग्राम-तुलसी विवाह होगा.
तुलसीघाट पर भी श्री संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र के सानिध्य में तुलसी विवाह होगा. गौरतलब हो कि कार्तिक मास में एकादशी तिथि पर तुलसी विवाह का विशेष महत्व है. मान्यता है कि तुलसी का विवाह भगवान के शालीग्राम अवतार के साथ होता है.माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.
लोग घरों के अलावा घाटों पर तुलसी विवाह की परंपरा को निभाते है.घरों में तुलसी के पौधे पर जल अर्पण कर शाम को दीप भी जलाएगें. इससे घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.घर में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास रहता है.
हिन्दुस्थान समाचार