आज प्रकाश का पर्व दिवाली है. सनातन धर्म में दिवाली के त्योहार की विशेष अहमियत है. इस त्योहार का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. दीवाली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि विधि-विधान पूजा करने से धन की प्राप्ती होती है. जातक और उसके परिवार के सदस्यों पर मां लक्ष्मी की अपार कृपा मिलती है.
दीवाली का त्योहार हर साल अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं इसकी वजह. दीवाली को रोशनी का पर्व माना जाता है. भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापस आने की खुशी में दिवाली मनाई जाती है. प्रभु के आने आने पर अयोध्या बहुत सुंदर तरह से सजाई गई. साथ ही अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर भव्य स्वागत किया था.
इसी खुशी में हर साल कार्तिक महीने में आने वाली अमावस्या पर दीपावली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. एक और कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से असुर राजा नरकासुर का वध किया था. नरका सुर को स्त्री के हाथों से वध का श्राप मिला था. उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी. नरका सुर के आतंक और अत्याचार से मुक्ति मिलने की खुशी में लोगों ने दीपोत्सव मनाया था. इसके अगले दिवाली मनाई गई.
दिवाली की एक कथा पांडवों से भी जुड़ी है. पांडवों से वनवास का दर्द झेला. इसके बाद उनके घर लौटने पर खुशी में पूरी नगरी को जगमग किया गया और तभी से दिवाली की शुरूआत हुई. दिवाली का जुड़ाव समुद्र मंथन से भी मिलता है. इसी दौरान मां लक्ष्मी अवतरित हुई थीं.
माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है. लोग अपने घरों में दीप जालने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी का पूजन भी करते हैं. यह भी दीपावली मनाने की एक मुख्य वजह है.