पेरिस पैरालिंपिक (Paris Paralympics) में धरमबीर (Dharambir) ने एक नए एशियाई रिकॉर्ड के साथ पुरुषों की क्लब थ्रो एफ51 स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता वहीं प्रणव सूरमा ने सिल्वर मेडल (Pranav Surma) पर कब्जा किया. वहीं मौजूदा विश्व चैंपियन और दो बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता ज़ेल्को दिमित्रिजेविक ने 34.18 मीटर की थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता.
34.92 मीटर का थ्रो कर रचा इतिहास
2022 एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता धरमबीर ने चार फाउल किए, अपने पांचवें प्रयास में वह 34.92 मीटर का थ्रो करने में सफल रहे, जो स्वर्णिम साबित हुआ. उनका अंतिम थ्रो 31.59 मीटर था. उन्होंने इससे पहले 2016 और 2020 में पैरालिंपिक में भाग लिया था, जिसमें वे क्रमशः नौवें और आठवें स्थान पर रहे थे.
35 वर्षीय धरमबीर हरियाणा के सोनीपत से हैं. 2012 में डाइविंग करते समय वे पानी के नीचे की चट्टानों से टकरा गए थे और इसके परिणामस्वरूप कमर के नीचे लकवा मार गया था. उन्होंने 2014 में अमित कुमार सरोहा के मार्गदर्शन में इस खेल को अपनाया.
प्रणव ने रजत पदक दिलाकर किया गौरवांवित
हांग्जो एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता प्रणव का सर्वश्रेष्ठ थ्रो 34.59 मीटर था जो उनके पहले प्रयास में आया. एक फाउल के अलावा, उनके बाकी चार थ्रो 34.19 मीटर, 34.50 मीटर, 33.90 मीटर और 33.70 मीटर थे.
बता दें प्रणव 16 वर्ष की आयु में ही लकवाग्रस्त हो गए थे, जब 2011 में उनके घर की छत उन पर गिर गई थी. हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले 29 वर्षीय प्रणव पेशे से बैंकर हैं.
अमित कुमार सरोहा पदक से चूके
प्रतियोगिता में तीसरे भारतीय अमित कुमार सरोहा केवल 23.96 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो ही कर सके और 10 प्रतिभागियों में अंतिम स्थान पर रहे. 39 वर्षीय अमित ने 2012 में लंदन में पुरुषों की डिस्कस थ्रो F51 स्पर्धा में अपना पैरालिंपिक पदार्पण किया था, इससे पहले उन्होंने 2016 में रियो डी जेनेरियो और 2021 में टोक्यो में पुरुषों की क्लब थ्रो F51 में देश का प्रतिनिधित्व किया था.
अमित कुमार सरोहा 22 साल की उम्र में एक कार दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी के दबाव के कारण क्वाड्रिप्लेजिक होने से पहले राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी थे. वह दो बार विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता हैं और उनके पास दो स्वर्ण सहित पांच एशियाई खेल पदक भी हैं.
क्लब थ्रो इवेंट
क्लब थ्रो एक ऐसा इवेंट है जिसमें उद्देश्य लकड़ी के क्लब को जितना संभव हो सके उतना दूर फेंकना होता है. यह हैमर थ्रो के बराबर पैरा है जिसमें प्रतिभागी थ्रो के लिए आवश्यक शक्ति उत्पन्न करने के लिए कंधों और बाहों पर निर्भर करते हैं.
भारत की झोली में 24 मेडल
बता दें कि अब तक भारत ने पैरालंपिक खेलों के चल रहे संस्करण में 24 पदक जीत लिये हैं, जिनमें पाँच स्वर्ण, नौ रजत और 10 कांस्य शामिल हैं.
हिन्दुस्थान समाचार