कोलकाता: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष के साथ तीन अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है. 53 वर्षीय घोष के साथ 52 वर्षीय विप्लव सिंह को भी पकड़ा गया है. सिंह अस्पताल में दवाओं आदि की आपूर्ति करता था. 46 वर्षीय वेंडर सुमन हाजरा को भी गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा संदीप घोष के एडिशनल सिक्योरिटी इंचार्ज रहे 44 वर्षीय अफसर अली की भी गिरफ्तारी हुई है.
CBI की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष और 3 अन्य को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार किया है। संदीप घोष के साथ दो वेंडर बिप्लव सिंह और सुमन हजारा तथा संदीप घोष के अतिरिक्त… pic.twitter.com/aylInXXJhl
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 2, 2024
सीबीआई ने सोमवार देर रात जारी बयान में इस बारे में जानकारी दी.16 अगस्त से संदीप घोष को लगातार 16 दिन तक पूछताछ का सामना करना पड़ा, जिसमें केवल शनिवार और रविवार को ही उनसे पूछताछ नहीं की गई. सोमवार को उन्हें दोबारा सीजीओ कॉम्प्लेक्स में बुलाया गया. यहां से उन्हें निजाम पैलेस ले जाकर जांच एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया. इन चारों को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा.
नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के बाद संदीप घोष की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे. 15 अगस्त को पहली बार सीबीआई ने उन्हें तलब किया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए. अगले दिन, सड़क से ही उन्हें सीबीआई की गाड़ी में बैठाकर सीजीओ कॉम्प्लेक्स ले जाया गया था. 24 अगस्त तक उन्हें लगातार नौ दिनों तक बुलाया गया और उन्हें सीबीआई दफ्तर में रोजाना 10 से 14 घंटे तक रहना पड़ा. 25 अगस्त को सीबीआई की एक टीम ने संदीप घोष के बेलियाघाटा स्थित घर पर छापा मारा. लगभग 75 मिनट के बाद उन्होंने दरवाजा खोला और सीबीआई के अधिकारी अंदर गए. उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. इसके अलावा, अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच भी सीबीआई को सौंपी गई है. इन दोनों मामलों में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर संदीप घोष समेत सात लोगों की पॉलिग्राफ टेस्ट कराया था.
छुट्टी पर जाने का आदेश और विवादास्पद स्थानांतरण
महिला डॉक्टर का शव मिलने के बाद आरजी कर अस्पताल में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ. रेजिडेंट डॉक्टरों और छात्रों की मांग थी कि संदीप घोष को उनके पद से हटाया जाए. 12 अगस्त को संदीप घोष ने दबाव में आकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. कुछ घंटों बाद ही उन्हें राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक अन्य सरकारी अस्पताल में प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त कर दिया. वहां भी उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, जिसके बाद हाई कोर्ट ने उन्हें छुट्टी पर जाने का आदेश दिया. अंततः, आंदोलन के दबाव के कारण उन्हें उस पद से भी हटा दिया गया.
साक्ष्यों को नष्ट करने का आरोप
महिला डॉक्टर का शव मिलने के बाद सेमिनार हॉल के पास के एक कमरे की दीवार को कथित रूप से “संरक्षण कार्य” के नाम पर तोड़ दिया गया. इस मामले में भी संदीप घोष की भूमिका होने का संदेह जताया जा रहा है, और इस बारे में भी उनसे पूछताछ की गई. इसके साथ ही, तीन साल से अधिक समय तक आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं का मामला भी उजागर हुआ है. इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया, लेकिन एक दिन बाद ही हाई कोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई. आरजी कर कॉलेज और अस्पताल से संबंधित विभिन्न गड़बड़ियों की जानकारी सामने आई है, जिनमें शवगृह से शवों के गायब होने से लेकर अस्पताल के जैविक कचरे में अनियमितताओं के आरोप भी शामिल हैं. इस मामले में अस्पताल के पूर्व अतिरिक्त सुपरिंटेंडेंट अख्तर अली ने पुलिस का ध्यान आकर्षित किया. आरोपों में संदीप घोष के अलावा आरजी कर के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख देवाशीष सोम, अस्पताल के पूर्व सुपरिंटेंडेंट संजय बशिष्ठ और चिकित्सा सामग्री सप्लायर बिप्लब सिंह का नाम भी शामिल है.
हिन्दुस्थान समाचार