मंकी पॉक्स (Monkeypox) का खतरा तो पूरे देश में ही बना हुआ है, इसी बीच स्वास्थ्य विभाग ने बिहार में इसके लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है. विभाग ने कहा कि पटना, दरभंगा और गया हवाई अड्डे पर आनेवाले यात्रियों पर विशेष ध्यान दी जा रही है. विभाग द्वारा एहतियात के तौर पर तीनों एयरपोर्ट पर संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है. हालांकि अभी तक एक भी मरीज में मंकी पॉक्स का वायरस नहीं पाया गया है.
मंकी पॉक्स की शुरुआत बंदरों से हुई
मंकी पॉक्स एक फैसने वाली बीमारी है, जो संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से होती है. मंकीपॉक्स चेचक की तरह दिखाई देती है. इसमें वैरियोला वायरस शामिल होता है. इसी वायरस के कारण स्मॉल पॉक्स होती है. जानवरों में पहली बार मंकी पॉक्स वायरस 1958 में दिखाई दी थी. वहीं, साल 1970 में पहली बार इंसानों में पाया गया था. साल 1980 में चेचक उन्मूलन के बाद यह गंभीर समस्या बन गया.
मंकी पॉक्स के क्या-क्या लक्षण हैं?
- सिर दर्द
- बुखार
- मांसपेशियों में दर्द
- चेचक जैसे दाने आना
- सूजी हुई लसीका ग्रंथियां
- कंपकंपी आना
- भारी थकावट
- त्वचा का फटना
- शरीर में रैशेज
- गला खराब होना
- लगातार खांसी आना
- सुस्ती आना
- खुजली की समस्या
मंकी पॉक्स के रोकथाम
- मंकी पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति चेचक का टीका यानी वैक्सीन जरूर लगवाएं.
- मंकी पॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद हाथों को साबुन और साफ पानी से धोएं.
- घर से बाहर निकलते समय मास्क और सैनिटाइजर जरूर लें.