स्कूलों, विशेषकर मिशनरी स्कूलों में हिन्दू धर्म और समाज के प्रतीकों के प्रति नकारात्मक व दुर्भावनापूर्ण रवैया अपनाने के खिलाफ राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस बार पहले से ही चेतावनी जारी कर दी है. एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रक्षाबंधन, जन्माष्टमी व आगामी अन्य त्योहारों के मद्देनजर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इस निर्देश में साफ तौर पर कहा गया है कि ‘‘बच्चों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना अपराध है. अब कोई भी स्कूल तिलक एवं त्योहारों पर मेंहदी लगाने, राखी और कलावा पहन कर विद्यालय आने पर बच्चों को रोक नहीं सकता है, विद्यालय द्वारा उल्लंघन की शिकायत बाल आयोग को भेजें.’’
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष की ओर से जारी निर्देश में साफ लिखा है कि, ‘‘रक्षाबंधन का पर्व आ रहा है, बच्चे राखी बांधकर तिलक, मेहंदी लगाकर स्कूल आएँगे, ऐसे में स्कूलों को उनके धार्मिक विश्वास का सम्मान बनाए रखना चाहिए. यदि किसी स्कूल ने पर्व के दौरान बच्चों को इन विषयों पर दंडित किया तो स्कूल के विरुद्ध क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी. तत्संबंध में राज्य सरकारों को आवश्यक निर्देश जारी किए जा चुके हैं.’’
उल्लेखनीय है कि पिछले साल और पिछले कुछ वर्षों में लगातार देश भर से कई शिकायतें सामने आती रही हैं जिसमें स्कूलों में रक्षा सूत्र बांधकर आए बच्चों को निशाना बनाया जाता रहा है. उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में आंवला तहसील क्षेत्र के भामोरा रोड स्थित मिशनरी स्कूल होली फैमिली कान्वेंट में छात्रों के हाथ से राखी कटवाने का मामला सामने आया था. यहां की प्राचार्य ने सुबह की प्रार्थना में घोषणा करके सभी बच्चों के हाथों से कलावा और राखी उतरवा ली थीं. जब इस बात की जानकारी विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं को हुई और उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराया, तब मामले के तूल पकड़ने के बाद स्कूल प्रबंधन ने अपनी गलती स्वीकार की थी. स्कूल के उप प्रधानाचार्य सोफी मारिया ने फिर कहा था कि स्कूल सभी धर्म का सम्मान करता है, अगर स्कूल परिवार की ओर से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उसके लिए हम क्षमा मांगते हैं.
इसी प्रकार की एक घटना उत्तर प्रदेश में ही हापुड़ में सामने आयी थी. यहां के क्रिश्चियन स्कूल सेंट एंथोनी सीनियर सेकेंडरी में छात्रों के हाथ पर बंधी राखी और कलावा जबरन उतरवा दिया गया और उसे कूड़ेदान में फेंक देने को कहा था. इस क्रिश्चियन स्कूल में रक्षा बंधन के दिन छात्रों के माथे के टीके भी मिटवा दिए गए थे.
ऐसा ही एक मामला कर्नाटक में मंगलुरु के कटिपल्ला के इन्फैंट मैरी इंग्लिश मीडियम स्कूल का है. मिशनरी स्कूल के शिक्षकों ने स्कूल में रक्षाबंधन त्योहार पर बहनों द्वारा बांधी गईं राखियों को पहनकर गए बच्चों के हाथों से राखियां हटवाईं और उन्हें कचरा बताते हुए कूड़ेदान में फिकवा दिया था. घटना की जानकारी होने के बाद बच्चों के माता-पिता, अभिभावकों ने इन्फैंट मेरी इंग्लिश स्कूल में विरोध प्रदर्शन किया था . मामला आगे बढ़ने पर स्कूल के कन्वेनर फादर संतोष लोबो ने पूरे घटनाक्रम पर सफाई दी थी . कहा था, शिक्षकों ने राखी को फ्रेंडशिप बैंड समझ लिया होगा. स्कूल में राखी पहनकर आने पर कोई पाबंदी नहीं है. लोबो ने कहा कि शिक्षकों ने नासमझी के कारण ऐसा किया होगा. हम धार्मिक परंपराओं में दखल नहीं देते हैं. गलती करने वालों ने माफी मांग ली है.
इसी प्रकार की घटना गुजरात में भी घटी, भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के पवित्र बंधन की प्रतीक रक्षा धागे राखी को गांधीनगर की मिशनरी स्कूल माउंट कार्मेल में उतरवा दिए जाने एवं कैंची चलाने का मामला सामने आया था . मामला सामने आते ही सरकार भी हरकत में आई. कक्षा तीन और पांचवीं के छात्रों के साथ यह घटना हुई थी .
इस तरह से देखें तो देश भर में अनेक मामले हर साल प्रकाश में आते हैं, जिनमें ऐसे ही कहीं राखी उतरवाई जाती है तो कहीं स्कूलों में तिलक मिटाने के साथ अपने कलावा और रक्षा सूत्र (राखी) को बच्चों से ही कहा जाता है कि अपने ही हाथों से उसे कचरा डब्बे में डालो. जो बच्चा ऐसा करने से मना करता है तो उसे प्रताड़ित किया जाता है. ऐसे में इन सभी घटनाओं को भविष्य में होने से रोकने एवं जनजागरण के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने पहले ही यह आदेश जारी कर दिया है.
इस पत्र पर म.प्र. बाल संरक्षण आयोग की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. एससीपीसीआर के अध्यक्ष द्रविंद्र मोरे और सदस्यगण ओंकार सिंह, डॉ. निवेदिता शर्मा, सोनम निनामा ने इस निर्देश का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि निश्चित ही इस बार विद्यालयों में रक्षाबंधन के बाद मिशनरी स्कूलों से आने वाली नकारात्मक खबरों में कमी आएगी. किसी के हाथ से जबरन कोई रक्षा सूत्र नहीं उतरवा सकेगा.
हिन्दुस्थान समाचार