बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण मामले को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. राजद सासंदो ने आज गुरुवार को आरक्षण को भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को संसद के जमकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया.
राजद सासंद मीसा भारती ने कहा, “बिहार में जातीय जनगणना हुई, हम चाहते हैं कि उसके अनुपात में हमने दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों का जो आरक्षण बढ़ाया था उसे सुरक्षा मिले. सरकार उसे 9वीं अनुसूची में शामिल करें ताकि उनका अधिकार उन्हें मिल सके.”-
वहीं राजद सांसद संजय यादव ने कहा, “प्रस्ताव को दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार को भेजा गया, 7-8 महीने हो गए हैं. यह डबल इंजन की सरकार है.अब केंद्र सरकार कह रही है कि यह मामला संविधान के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है’.डबल इंजन सरकार को जवाब देना चाहिए.”
राजद सांसद मनोज झा ने कहा, ”हालात ये हैं कि कल मैंने जब एक सवाल पूछा तो केंद्र की सरकार कहती है कि ये राज्य का मामला है. कोई एक झूठ बोल रहा है. आप (मोदी सरकार) सामाजिक न्याय के विरोधी हैं. जातिगत जनगणना के विरोध हैं, आरक्षण के विरोधी हैं. इसलिए हमारा ये विरोध है.”
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि बिहार में पिछले साल महागठबंधन सरकार ने ओबीसी, एससी और एससी-एसटी वर्गों के आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने की घोषणा की थी. साथ ही केंद्र सरकार से इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की थी.
इस आरक्षण की मांग पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखने को कहा.