आज कारगिल विजय दिवस है. इसी दिन 25 साल पहले भारतीय सेना और सुरक्षाबलों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को उल्टे पांव भागने पर मजबूर कर दिया था और कारगिल को उनसे मुक्त कराया था. भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम को आज कृतज्ञ राष्ट्र शत शत नमन कर रहा है. ऑपरेशन विजय के तहत सेना के जवानों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए विपरीत परिस्थितियों के बाद भी ऊंची पहाड़ियों से खदेड़ दिया था. इस मिशन में सेना के करीब 2 लाख जवानों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से 527 जवान शहीद हो गए थे, वहीं 1300 से ज्यादा जवान घायल हुए थे. वहीं पाकिस्तानी सेना को भारत से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था. यहां तक कि उसने अपने सैनिकों की लाशें लेने से भी इनकार कर दिया था.
इसी युद्ध में बलिदान हुए सैनिकों और वीरता दिखाने वाले जवानों के सम्मान में हर साल पूरे देश में विजय दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य कार्यक्रम लद्दाख में LoC के करीब मौजूद द्रास सेक्टर में स्थित ‘कारगिल वार मेमोरियल’ में होता है. ये मेमोरियल भारतीय सैनिकों की याद में ही बनाया गया है. यहां अमर ज्योति और वीर गति प्राप्त करने वाले सैनिकों के शिलालेख तथा प्रतिमाएं हैं.
प्रधानमंत्री मोदी जाएंगे कारगिल
25वें कारगिल विजय दिवस पर प्रधान मंत्री मोदी सुबह करीब 9:20 बजे कारगिल युद्ध स्मारक का दौरा करेंगे. और दुश्मनों से मुकाबला करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि देंगे.
धोखे से पाकिस्तानियों ने किया था कब्जा
पाकिस्तान ने कारगिल की पहाड़ियों पर धोखे से कब्जा कर लिया था. सामने से युद्ध करने की उसकी ताकत नहीं थी. उसने पीठ के पीछे से कारगिल हथियाने की नापाक कोशिश की थी. जिसे हमारे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया. दरअसल, 1972 में दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक शिमला समझौते हुआ. इसके अनुसार भारत और पाकिस्तान की सेनाएं ठंड के मौसम में कम बर्फीले स्थान पर चली जाएंगी. इस समझौते का पालन करते हुए भारत की सेना 1998 में LoC को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली गईं. तभी पाकिस्तान ने समझौता तोड़ते हुए उसके 5 हजार जवानों ने कई भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया. अगले साल यानि 1999 की गर्मियों में भारतीय सेना दोबारा अपनी पोस्ट पर गई तो उन्होंने देखा कि पाकिस्तान सेना की तीन इंफेंट्री ब्रिगेड कारगिल की करीब 400 चोटियों पर कब्जा जमाए बैठी है. पाकिस्तान ने डुमरी से लेकर साउथ ग्लेशियर तक करीब 150 किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर रखा था.
वहीं जब 5 भारतीय जवानों का गश्ती दल वहां पहुंचा तो उन घुसपैठियों ने उन्हें भयंकर यातनाएं देकर निर्ममता से उनकी हत्या कर दी थी और उनके क्षत-विक्षत शव भारत को सौंपे. इसके बाद भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों से अपने इलाके को खाली कराने के लिए एक अभियान शुरू किया जिसे ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया.
सेना ने पाकिस्तान के दांत किए खट्टे
भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना ने संयुक्त अभियान चलाते हुए इस युद्ध में अद्धभुत वीरता का परिचय देते हुए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जीत हासिल की थी. युद्ध के दौरान जहां पाकिस्तानी घुसपैठिये पहाड़ों की ऊंचाई पर बैठे गोलीबारी कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ भारतीय सेना के जवान निचले इलाकों से उनका सामना कर रहे थे. इसके बावजूद घुसपैठिये भारतीय सेना का सामना नहीं कर सके थे, और भागने पर मजबूर हो गए थे.
मिग विमान और बोफोर्स का किया इस्तेमाल
इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल किया था. वहीं सेना ने बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल किया था. जो इस युद्ध में जबरदस्त मारक साबित हुई थीं.
बता दें पाकिस्तानी सेना इस घुसपैठ के जरिए ना केवल कारगिल पर कब्जा करना चाहती थी, बल्कि लेह और सियाचिन ग्लेशियर तक भारतीय सेना की सप्लाई लाइन को भी काटना चाहती थी. ताकि वहां पर भी कब्जा किया जा सके. हालांकि भारतीय सेना ने उसके नापाक मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया. इस तरह कारगिल को पाकिस्तान के चंगुल से छुड़वाने में भारतीय सेना को सफलता मिली.