पटना: बिहार विधानमंडल में मॉनसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वर्ष की सीएजी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार का राजकोषीय घाटा 2022-23 में बढ़कर 44,823.30 करोड़ पहुंच गया है, जो (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) जीएसडीपी का 5.97 प्रतिशत हो गया है.
सीएजी ने 31 मार्च 2023 तक 87,947.8 करोड़ के 41,755 उपयोगिता प्रमाण नहीं मिलने की बात भी कही है. महालेखा परीक्षक ने रिपोर्ट में कहा है 31 मार्च 2023 तक 7,489.05 करोड़ के 27,392 एसी बिल डीसी बिल जमा करने के लिए लंबित है. इसमें से 6,450.17 करोड़ के 26,574 एसी बिल 2021-22 के अवधि से संबंधित है.
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2022 तक 55,840.32 करोड़ राजस्व संग्रहण होना था लेकिन केवल 38,838.88 करोड़ राजस्व का ही संग्रहण हुआ. लेखा परीक्षा में 1059 मामलों में कुल 25,001 करोड़ के राजस्व की हानि का पता लगा है. संबंधित विभागों ने 336 मामलों में 28.80 करोड़ के त्रुटियों को स्वीकार किया है. महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में अनियमितता की ओर इशारा किया है. सीएजी ने अक्टूबर 2020 से जून 2022 के दौरान निष्पादित 8 दस्तावेजों में भूमि के अल्प मूल्यांकन का पता लगाने में विफल रहने की बात कही है, जिसके फलस्वरुप 1.25 करोड़ के मुद्रांक शुल्क और निबंधित फीस की कम वसूली हुई.
पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा पटना में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 2022 तक स्वीकृत 44 योजनाओं में से 29 योजनाओं पर ही काम हुआ. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि पावर सिस्टम डेवलपमेंट फंड दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड को 97.54 करोड़ के अनुदान की हानि हुई है.
सीएजी ने परिवहन विभाग में लापरवाही के कारण राजस्व की कम वसूली होने की बात कही है. जिला परिवहन पदाधिकारी ने जनवरी 2017 और मार्च 2022 के बीच 20,189 वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र का नवीनीकरण सुनिश्चित किया था. इसके फलस्वरूप 1.5 करोड़ की वसूली नहीं हुई. वाहन मालिकों द्वारा मोटर वाहन कर का भुगतान नहीं करने की जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा 22.6 करोड़ का कर और अर्थ दंड की वसूली नहीं की गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2022 तक बिक्री व्यापार आदि पर कर, माल और यात्रियों पर कर विद्युत पर कर एवं शुल्क वाहनों पर कर वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर एवं शुल्क भू राजस्व राज्य उत्पादन मुद्रांक शुल्क और निबंध फीस तथा खनन एवं उद्योगों पर राजस्व के बकाये 4022.59 करोड़ थे जिसमें से 1300.42 करोड़ 5 वर्षों से अधिक समय से लंबित थे. नमूना जांच किए गए 28 शहरी स्थानीय निकायों में से 27 ने ई-कचरे के संग्रहण के लिए कोई व्यवस्था नहीं की थी और नमूना जांच किए गए 22 शहरी स्थानीय निकायों ने घरेलू जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के संग्रहण के लिए कोई अनुबंध नहीं किया था. परिणामस्वरूप, आठ श.स्था.नि. में प्रयुक्त सिरिंज और सुइयों को ठोस अपशिष्ट के साथ मिश्रित पाए जाने के मामले देखे गए. नमूना-जांच किए गए किसी भी श.स्था.नि.में प्लास्टिक अपशिष्ट का पुनर्चक्रण/चैनलिंग नहीं किया जा रहा था. संपूर्ण प्लास्टिक अपशिष्ट को बिना किसी पृथक्करण और उपचार के डंपिंग साइट पर डंप किया गया .
ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा 5.12 करोड़ के आवंटन के बावजूद पटना नगर निगम प्लास्टिक अपशिष्ट श्रेडिंग इकाई स्थापित करने में विफल रहा, जिसके कारण सड़क निर्माण में कटे हुए श्रेडेड प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग नहीं हो सका. विभिन्न संस्थानों यथा जिला स्तरीय समीक्षा एवं अनुश्रवण समितियां, वार्ड स्तरीय समितियां एवं विषय समितियों की गैर-मौजूदगी के साथ-साथ सशक्त स्थायी समितियों की बैठकों में कमियों से अनुश्रवण की कमी स्पष्ट थी. नमूना जांच किए गए शहरी स्थानीय निकायों ने नगरीय ठोस अपशिष्टों से होने वाले जोखिम का आकलन नहीं किया था और प्रदूषण स्तर (वायु और पानी की गुणवत्ता) का भी अनुश्रवण नहीं कर रहे थे. हालांकि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में इसकी परिकल्पना की गई थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए समर्पित कर्मचारियों की कमी 90 से 100 प्रतिशत तक थी. नमूना जांच किए गए शहरी स्थानीय निकायों ने अपने कर्मचारियों और कचरा बीनने वालों के लिए कोई क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित नहीं किया था. नमूना जांच किए गए शहरी स्थानीय निकायों में से किसी ने भी कचरा बीनने वालों को पंजीकृत नहीं किया था. (दरभंगा और दानापुर को छोड़कर) और केवल दो शहरी स्थानीय निकायों (दानापुर और दलसिंहसराय नगर परिषद्) ने पुनर्चक्रण योग्य वस्तुओं की वसूली के लिए महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को नियुक्त किया था.
लेखापरीक्षा टिप्पणियों में निधि आधारित लेखांकन की अनुपस्थिति 17.07 करोड़ के उपभोक्ता शुल्क की कम वसूली अपशिष्ट प्रसंस्करण के अभाव में हुई. अपशिष्ट स्टैकिंग के लिए अर्थ मूवर मशीनों को किराए पर लेने पर, पटना नगर निगम द्वारा 10.29 करोड़ का अतिरिक्ट व्यय किया गया. समान उद्देश्यों के लिए विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई निःशुल्क राज्य सेवा की उपलब्धता के बावजूद क्लाउड सर्वर पर 1.25 करोड़ का व्यय किया गया. वाहनों के पंजीकरण में विलंब के कारण 70.89 लाख का परिहार्य व्यय हुआ. पटना और गया नगर निगम द्वारा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक दर पर भुगतान के कारण 56.62 लाख का अतिरिक्त भुगतान और पटना एवं गया नगर निगम द्वारा राज्य सरकार नेटवर्क की उपलब्धता के बावजूद एक निजी वेन्डर को नेटवर्क कनेक्टिविटी के लिए 23.16 लाख का परिहार्य भुगतान सम्मिलित है.
हिन्दुस्थान समाचार