ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) सुप्रीम कोर्ट के मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के फैसले के खिलाफ हैं. एआईएमपीएलबी के प्रेसीडेंट हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस्लामी शरीयत के खिलाफ है. इसलिए वो सरियत कानून के तहत ही काम करेंगे. बोर्ड ने आगे कहा कि तलाक के बाद मुस्लिम पुरुषों को पिछली पत्नियों को बनाए रखने के लिए मजबूर करना पूरी तरह से अव्यवहारिक करार दिया है.
बोर्ड ने अपने अध्यक्ष को इस फैसले पर रोक लगाने के लिए सभी संभव कानूनी उपाय तलाशने को कहा है. साथ ही बोर्ड ने उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को भी हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता के लिए याचिका दायर कर सकती है.