पश्चिम बंगाल में विभिन्न नगरपालिकाओं में भर्ती घोटाले के मामले में इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोपपत्र दाखिल किया है. इस आरोपपत्र में सीबीआई ने विस्तार से बताया है कि भर्ती में अनियमितताएं कैसे शुरू हुईं और कैसे इसे अंजाम दिया गया.
सूत्रों के अनुसार, पहले संदेह तब उत्पन्न हुआ जब यह पाया गया कि विभिन्न ग्रेड के पदों की लिखित परीक्षा के लिए एक जैसे प्रश्न पूछे गए थे. ग्रुप सी और ग्रुप डी के पदों के लिए पूछे गए प्रश्न 100 प्रतिशत समान थे, जोकि किसी भी प्रोफेशनल तरीके से आयोजित भर्ती परीक्षा के लिए असंभव है.
प्रश्न पत्र पैटर्न पर संदेह
दूसरा संदेह तब उत्पन्न हुआ जब प्रश्नों के पैटर्न का विश्लेषण किया गया. जांच में यह स्पष्ट हुआ कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रश्न पत्र तैयार करने में विशेषज्ञता और अनुभव रखने वाली किसी भी विशेषज्ञ आउटसोर्स एजेंसी द्वारा कोई प्रोफेशनल तैयारी नहीं की गई थी.
पूछताछ के दौरान जांच से पता चला कि विभिन्न पदों के लिए प्रश्न पत्र तैयार करने का कार्य किसी विशेषज्ञ एजेंसी को देने के बजाय निजी प्रमोटर अयन सिल की मालिकाना हक वाली एजेंसी को दिया गया था. सिल नगर पालिका और स्कूल नौकरियों की भर्ती घोटालों के मुख्य आरोपित हैं.
अयन सिल की गिरफ्तारी और जांच
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्कूल में नौकरी दिलाने के मामले में संलिप्तता के संबंध में पिछले साल मार्च में अयन सिल को गिरफ्तार किया था. वह पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं.
पिछले साल, ईडी ने शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच करते हुए सिल और उनकी कंपनी के बीच संबंध का पता लगाया. इसके बाद उनके आवास पर छापेमारी और तलाशी अभियान चलाया गया, जिससे नगर पालिकाओं की भर्ती में अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ.
सीबीआई और ईडी अब इस मामले में आगे की जांच कर रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषियों को उचित सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.