अररिया के सिकटी के पड़रिया में बकरा नदी पर बना पुल उद्घाटन से पहले ही मंगलवार को नदी के गर्भ में समा गया. पुल का तीन पाया नदी में समा गया, जबकि पुल निर्माण का कार्य तेरह वर्षों से चल रहा था.
पुल के ध्वस्त होने के मामले में ग्रामीण अभियंत्रण संगठन (आरईओ) विभाग ने कार्रवाई करते तीन इंजीनियर को निलंबित कर दिया है. वहीं जांच के लिए चार सदस्यीय जांच कमिटी का गठन किया गया है. पहले पुल निर्माण कार्य की जिम्मेवारी बिहार राज्य पुल निगम के ऊपर थी लेकिन नदी की बदलती धारा के साथ बाद में पुल निर्माण के कार्य की जिम्मेवारी ग्रामीण अभियंत्रण संगठन (आरईओ) के ऊपर आ गई. 2019 से आरईओ के द्वारा ही पुल निर्माण का कार्य किया जा रहा था. पुल का निर्माण कार्य पूरा हो गया था और अब केवल अप्रोच पथ तैयार कर उद्घाटन होना शेष था. लेकिन उद्घाटन से पहले ही यह धराशाई हो गया.
बिहार सरकार की ओर से इंजीनियर का एक जांच टीम का गठन किया गया है, जो पटना से आकर पुल के जमींदोज होने और कार्य की गुणवत्ता को लेकर जांच कर विभाग और सरकार को रिपोर्ट पेश करेंगे. विभाग की ओर से मामले की जांच के लिए चार सीनियर इंजीनियरों की एक जांच कमेटी बनाई गई है. इस टीम में पूर्णिया क्षेत्र के मुख्य इंजीनियर निर्मल कुमार, राज्य तकनीकी एजेंसी के प्रतिनिधि डॉक्टर संजीव सिन्हा,पुल सलाहकार बीके सिंह और राज्य गुणवत्ता समन्वयक राजीव रंजन कुमार शामिल है.
बकरा नदी पर पड़रिया के पास बन रहा यह पुल जिले के सिकटी प्रखंड और कुर्साकांटा प्रखंड को जोड़ने वाला अति महत्वपूर्ण पुल था. लेकिन पड़रिया पुल अपने निर्माण के दौरान ही नदी के गर्भ में समा गया.
बहरहाल तेरह साल से बनने के बावजूद पुल आमजनों को सुविधा को लेकर मयस्सर नहीं हो पाया. मामले के जांच को लेकर गठित जांच कमिटी के रिपोर्ट के बाद गाज किन अधिकारियों पर गिरेगा, यह तो जांच रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा. लेकिन पुल निर्माण काल के शुरुआती समय से ही गुणवत्ता विहीन कार्य को लेकर चर्चा में रहा. ग्रामीणों की ओर से कई बार आंदोलन हुए. जिला प्रशासन से विभागीय स्तर तक जांच हुई.
हिन्दुस्थान समाचार