पूर्वी चंपारण: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की नई सरकार ने बिहार को बड़ी सौगात दी है. लंबे समय से प्रतीक्षारत दो एक्सप्रेसवे को मंजूरी देते हुए इसका डीपीआर की मांग की है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने गोरखपुर-किशनगंज-सिलीगुड़ी और रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे का डीपीआर अविलंब तैयार करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा है कि हाई स्पीड कॉरिडोर के निर्माण से बिहार के कई जिलों में विकास की गति जोर पकड़ेगी और देश को विकसित बनाने में बिहार मददगार बनेगा.
उल्लेखनीय है कि गोरखपुर से भाया किशनगंज सिलीगुड़ी जानेवाली और रक्सौल से भाया झारखंड हल्दिया जाने वाली एक्सप्रेसवे के बन जाने से बिहार के कई जिलो में विकास के पंख लग जायेगे. मोदी सरकार ने भारतमाला 2 ए योजना के तहत देश में कुल 12 ऐसे कॉरिडोर की स्वीकृति दी है, जिसमें बिहार से गुजरने वाले दो हाई स्पीड कॉरिडोर- रक्सौल-हल्दिया पोर्ट एक्सप्रेस-वे और गोरखपुर-किशनगंज-सिलिगुड़ी एक्सप्रेस-वे कॉरिडोर भी शामिल हैं. इसके लिए जमीन अधिग्रहण और एक साल में कम से कम 100 किमी निर्माण लक्ष्य एनएचआई को दिया गया है.
गौरतलब है कि रक्सौल हल्दिया पोर्ट एक्सप्रेस-वे बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल से गुजरेगा, वहीं गोरखपुर- किशनगंज-सिलिगुड़ी एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से गुजरेगा. इस निर्णय से बिहार में पहली बार एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेस-वे निर्माण का रास्ता साफ हुआ जो उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की तरह दोनों तरफ कांटों से घिरा होगा. एक्सप्रेस-वे पर औसत स्पीड 100-120 किमी प्रति घंटा होगी.
रक्सौल-हल्दिया पोर्ट की बात करें तो इसकी कुल लंबाई 719 किलोमीटर निर्धारित है,जो बिहार में 367 किलोमीटर, लागत- 20,000 करोड़ होगी. यह एक्सप्रेस-वे पूर्वी चम्पारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, लखीसराय, जमुई एवं बांका से गुजरेगा. क्षेत्र का आर्थिक विकास होने के साथ-साथ एक्सप्रेस-वे के किनारे औद्योगिक विकास भी होगा. रोजगार के अवसर सृजित होंगे और नेपाल बॉर्डर से हल्दिया पोर्ट की दूरी 22 प्रतिशत घट जाएगी.
हिन्दुस्थान समाचार