डीएफओ ने बताया कि सेंचुरी एरिया होने के कारण पर्यटक फूलों की घाटी में रात्रि को नहीं रुक सकते हैं. पर्यटकों को फूलों की घाटी का भ्रमण करने के बाद उसी दिन बेस कैंप घांघरिया वापस आना अनिवार्य किया गया है. बेस कैंप घांघरिया में पर्यटकों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है.
उन्होंने बताया कि वैली ऑफ फ्लावर ट्रैकिंग के लिए देशी नागरिकों को 200 रुपये तथा विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपये ट्रैक शुल्क निर्धारित है. ट्रैक को सुगम और सुविधाजनक बनाया गया है. फूलों की घाटी के लिए बेस कैंप घांघरिया से टूरिस्ट गाइड की सुविधा भी उपलब्ध है. इस साल फूलों की घाटी 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी.
फूलों की घाटी ट्रैक अपने फूलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. इस घाटी की रोचक बात ये है कि ये घाटी हर 15 दिन में अपना रंग बदल लेती है. फूलों की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं, जो आपको सिर्फ यहीं देखने को मिलती है.
फूलों की घाटी दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है और जैव विविधता का अनुपम खजाना है. यहां 500 से अधिक प्रजाति के रंग बिरंगे फूल खिलते हैं.
हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार करने आते है. प्रकृति प्रेमियों के लिए फूलों की घाटी से टिपरा ग्लेशियर, रताबन चोटी, गौरी और नीलगिरी पर्वत के विहंगम नजारे भी देखने को मिलते हैं.
हिन्दुस्थान समाचार