Mahatma Buddha 2024: हर साल वैसाख महीने की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. यह दिन राजकुमार और महात्मा बुद्ध के जन्मोत्सव का प्रतीक है. यह आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में आता है. महात्मा बुद्ध के ज्ञान का प्रकाश भारत ही नहीं पूरी दुनिया में फैला है, उनका पूरा जीवन हर किसी को कुछ सिखाता है. आज महात्मा बुद्ध के जन्मोत्सव के पावन अवसर पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें यहां बताने जा रहे हैं.
इन देशों में मनाया जाती है बुद्ध का जन्मोत्सव
बुद्ध धर्म का प्रसार भारत के साथ थाईलैंड, तिब्बत, चीन, कोरिया, लाओस, वियतनाम, मंगोलिया, कंबोडिया और इंडोनेशिया समेत कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशो में हुआ है. वहीं श्रीलंका, नेपाल, भूटान और तिब्बत भी इस धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं. इस दिन को एशिया के ज्यादातर हिस्सों में मनाया जाता है.
महात्मा बुद्ध का जीवन
गौतम बुद्ध का जन्म 563-483 ई.पू. के बीच लुम्बिनी नेपाल में हुआ था. उनके पिता शुद्धोधन और मां रानी महामाया था जो की शाक्य कबीले से जुड़े थे, उनकी माता ने अपने पेतृक घर में ही उन्हें जन्म दिया था. बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था उनकी छोटी सी उम्र में ही यह भविष्यवाणी गई थी कि वो दुनिया की मोह माया को छोड़ कर संत बन जाएंगे या फिर सम्राट, इन सभी बातों को सुनकर उनके माता पिता ने नन्हें सिद्धार्थ को बाहरी दुनिया से दूर रखा.
शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु थी यह जगह लुम्बिनी के पास मौजूद है. गौतम राजसी विलासिता में पले बढ़े, उन्हें सुख सुविधा के सभी साधन देने के साथ कई तरह की शिक्षाओं से प्रशिक्षित किया गया था. बाद में उनकी शादी यशोधरा नामक एक राजकुमारी से हुई बाद में उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल था. 21 साल की उम्र में एक बार वो अपने सारथी के साथ नगर भ्रमण पर निकले जहां उन्होंने एक रोगी, एक बुजुर्ग और मृत शरीर और आखिर में एक साधु देखा. इन सभी को देखकर उन्हें पता लगा कि संसार में दुख ही दुख हैं मगर केवल साधु-संत ही सारी मोह माया का त्याग कर सुख से रह सकता है.
महात्मा बुद्ध की महत्वपूर्ण शिक्षाएं
इसके बाद सिद्धार्थ ने घर छोड़ दिया और कई सालों तक भटकने ध्यान करने के बाद आखिरकार 35 वर्ष की उम्र में ज्ञान प्राप्ति हुई जिसके बाद वो बुद्ध बन गए. बुद्ध ने अपने जीवन का पहला उपदेश उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास स्थित सारनाथ में दिया था. महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएं इस प्रकार से हैं-
1. महात्मा बुद्ध ने लोगों को दोखों से मुक्ति दिलाने के लिए अष्टांगिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जो की उन्हें ज्ञान की तरफ ले जाएगा.
2. उन्होंने ज्ञान, दया, उदारता, धैर्य और करुणा जैसे गुणों को धारण करने पर बल दिया.
3. चार आर्य सत्यों को स्वीकार कर उन्हीं के अनुरूप जीवन जीने पर बुद्ध ने जोर दिया था.
4. महात्मा बुद्ध ने कहा था कि इस दुनिया में कुछ स्थायी नहीं है, यहां सब कुछ बदलता रहता है. जीवन कभी नहीं मरता यह विकसित होता जाता है. ऐसे में मृत्यु के सत्य को स्वीकार कर जीवन जीने का संदेश देती हैं.
5. इन शिक्षाओं में न तो कठोर तप को पूरी तरह से ठीक माना है और न ही भोग विलासिता वाले जीवन को बल्कि इसके बीच के मध्यम मार्ग को अपनाने पर जोर दिया गया है.
6. बुद्ध कारण और प्रभाव के नियम वाले कर्मो को करने पर विश्वास करते थे, इस जीवन में मनुष्य की प्रगति उसकी कर्मों पर निर्भर करती है. जैसा वो बोता है वैसा ही उसे काटना भी पड़ता है.
बुद्ध की शिक्षाओं को धम्म के नाम से जाना गया जिसका उद्देश्य मनुष्य को दुखों और पीड़ाओं से मुक्ति दिलाना है यह शिक्षाएं आज भी उनकी ही प्रासंगिक हैं जितनी की कई साल पहले हुआ करती थीं. कालांतर में इन शिक्षाओं को लिखकर दर्ज किया गया, इन्हें त्रिपिटक में संजोया गया
1. सुतपिटक
2. विनय पिटक
3. अभिधम्म पिटक