Saturday, May 17, 2025
No Result
View All Result
Bihar Pulse

Latest News

भारत की सख्ती के बाद पाक ने BSF जवान को छोड़ा, DGMO की बैठक के बाद हुई रिहाई

Opinion: यह अल्पविराम है, युद्ध तो होगा ही!

ऑपरेशन सिंदूर के हीरो और बिहार की शान एयर मार्शल AK भारती, जाने पूर्णिया की माटी से वायुसेना तक का सफर

‘भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को मात देना नामुमकिन’, प्रेस ब्रीफिंग में DGMO का बड़ा दावा

विराट कोहली ने टेस्ट मैट से लिया सन्यास, इंस्टाग्राम पर फैंस पर दी जानकारी

  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Business
    • Legal
    • History
    • Viral Videos
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
Bihar Pulse
  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Business
    • Legal
    • History
    • Viral Videos
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
No Result
View All Result
Bihar Pulse
No Result
View All Result

Latest News

भारत की सख्ती के बाद पाक ने BSF जवान को छोड़ा, DGMO की बैठक के बाद हुई रिहाई

Opinion: यह अल्पविराम है, युद्ध तो होगा ही!

ऑपरेशन सिंदूर के हीरो और बिहार की शान एयर मार्शल AK भारती, जाने पूर्णिया की माटी से वायुसेना तक का सफर

‘भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को मात देना नामुमकिन’, प्रेस ब्रीफिंग में DGMO का बड़ा दावा

विराट कोहली ने टेस्ट मैट से लिया सन्यास, इंस्टाग्राम पर फैंस पर दी जानकारी

  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
  • लाइफस्टाइल
Home इतिहास और संस्कृति

Opinion: अग्नि अविष्कारक महर्षि भृगु का अवतरण दिवस

param by param
May 22, 2024, 06:26 pm GMT+0530
FacebookTwitterWhatsAppTelegram

जिनमें नारायण ने अपना स्वरूप देखा उन महर्षि भृगु का अवतरण दिवस वैशाख पूर्णिमा है. वे ब्रह्मा से उत्पन्न आठ प्रचेताओं में प्रथम हैं. ऋग्वेद में उनसे संबंधित अनेक ऋचायें हैं. वे अग्नि और आग्नेय अस्त्रों के अविष्कारक भी हैं. इसीलिए अग्नि का एक नाम “भृगि” भी है. भृगि अर्थात भृगु से उत्पन्न.

ऋग्वेद के अनुसार महर्षि भृगु ने मातरिश्वन् से अग्नि ली और पृथ्वी पर लाए. इसी कारण यज्ञ के माध्यम से अग्नि की आराधना करने का श्रेय भृगु कुल के ऋषियों को ही दिया जाता है. उन्हीं के माध्यम से संसार भर को अग्नि का परिचय मिला. कुछ स्थानों पर महर्षि अंगिरा को भी महर्षि भृगु का ही पुत्र बताया गया है. इसके पीछे तर्क यह है कि ऋग्वेद में भृगु अंगिरस् नाम आया है. इसके दो ही अर्थ हो सकते हैं. एक तो भृगु को अंगिरस की उपाधि हो सकती है जो अग्नि के अविष्कारक होने के नाते कहे गए.

दूसरा अंगिरा को भृगु परंपरा का अंग मानना हो सकता है. यद्यपि पुराणों मे महर्षि अंगिरा को भृगु के समान ही प्रचेता ही लिखा गया है, सप्त ऋषियों में एक माना है जो महर्षि अंगिरा महर्षि भृगु के समतुल्य दर्शाता है. पर यदि महर्षि अंगिरा महर्षि भृगु के पुत्र के नहीं तो महर्षि अंगिरा का महर्षि भृगु से कोई गहरा संबंध अवश्य है. देवगुरु बृहस्पति इन्हीं अंगिरा के पुत्र हैं. बहुत संभव है कि महर्षि भृगु की परंपरा में कोई ऋषि उत्पन्न हुए जिनका नाम भी अंगिरा हो और नाम की एकरूपता में कोई भ्रम न इसलिए इन ऋषि का नाम भृगु अंगिरस लिखा हो. यह अंतर ऋग्वेद की भृगु वारिणी ऋचाओं में है, जिससे लगता है कि महर्षि भृगु का संबंध वरुण से भी है.

पुराणों में एक कथा और है. जब यह निर्णय होना था कि ब्रह्मा विष्णु और शिव में से सबसे सात्विक कौन है जिसे कभी क्रोध या रोष नहीं आता. तब इन त्रिदेवों के परीक्षक के रूप यह दायित्व महर्षि भृगु को ही मिला. परीक्षा के लिये ही महर्षि भृगु ने नारायण के वक्ष पर पद प्रहार किया और वे पद चिन्ह नारायण अपने हृदय पर धारण करते हैं. इसी आधार पर ये निधारित हुआ कि कौन किस गुण का प्रतीक है. महर्षि भृगु की सलाह पर ही नारायण संसार को संदेश देने के लिये समय समय पर मनुज अवतार लेते हैं. संसार में परमपिता ब्रह्मा का पूजन न हो, यह निर्णय भी महर्षि भृगु ने ही लिया था. श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय में भगवान् ने कहा “मैं ऋषियों में भृगु हूं”. महर्षि भृगु को संसार का पहला प्रचेता लिखा गया है. विष्णु पुराण के अनुसार नारायण को ब्याहीं श्रीलक्ष्मी महर्षि भृगु की ही बेटी थीं. समुद्र मंथन से जो लक्ष्मी प्रगट हुईं वे तो उनकी आभा मात्र थीं.

भृगु वंश में ही महर्षि मार्कण्डेय, शुक्राचार्य, ऋचीक, विधाता,दधीचि, त्रिशिरा, जमदग्नि, च्यवन और नारायण का ओजस्वी अवतार परशुरामजी का जन्म हुआ. सूर्य पुत्र मनु उनके शिष्य हैं. महर्षि भृगु ने ही महाराज मनु को मानव आचार संहिता रचने को प्रेरित किया. इसीलिए मनु स्मृति के अंत में महर्षि भृगु के प्रति आभार प्रकट किया गया है उससे यह पुष्ट होता है कि संसार की यह पहली मानव आचार संहिता महर्षि भृगु के निर्देशन में ही रची गई.

महर्षि भृगु को अंतरिक्ष, चिकित्सा और नीति शास्त्र का भी जनक माना जाता है. अंतरिक्ष के ग्रहों और तारागणों की गणना का पहला शास्त्र भृगु संहिता है. इस संबंधी ताम्रपत्र पर एक प्रमाण नेपाल में सुरक्षित है. इसके अतिरिक्त भृगु स्मृति, भृगु सूत्र, भृगु गीता, भृगु उपनिषद आदि ग्रंथों का उल्लेख मिलता है पर ये उपलब्ध नहीं हैं. भृगु संहिता को ज्योतिष का पहला शास्त्र माना जाता है. जो यह संकेत करता है कि भारत में अंतरिक्ष और ग्रहों की गति का ज्ञान लाखों वर्ष पहले से रहा है. महर्षि भृगु चिकित्सा शास्त्र के अद्भुत ज्ञाता थे. मृत संजीवनी औषधि खोजने वाले शुक्राचार्य उन्ही के पुत्र हैं.

महर्षि भृगु के तीन विवाहों का वर्णन मिलता है. उनका पहला विवाह देवी ख्याति से हुआ. इनसे दो पुत्र धाता, विधाता और पुत्री श्रीलक्ष्मी हैं. महर्षि भृगुआ का दूसरा विवाह महर्षि कश्यप की पौत्री और दैत्यों के अधिपति हिरण्यकश्यप की पुत्री दिव्या से हुआ. संजीवनी विद्या के ज्ञाता और दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य इन्हीं के पुत्र हैं. इन्हीं शुक्राचार्य के पुत्र विश्वकर्मा हैं, जिन्होंने दिव्य स्वर्ग की रचना की. महर्षि भृगु का तीसरा विवाह पुलोम ऋषि की पुत्री पौलमी से हुआ. कहीं कहीं पुलोम ऋषि को दानवों का स्वामी भी लिखा है. इनसे महर्षि च्यवन का जन्म हुआ और इसी परंपरा में आगे चलकर भगवान परशुराम का अवतार हुआ. च्यवन ऋषि आगे चलकर खम्भात की खाड़ी के स्वामी बने. तब से इस क्षेत्र को भृगुकच्छ-भृगु क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा. भड़ौच में नर्मदा के तट पर भृगु मन्दिर बना है. यह माना जाता है कि नर्मदा क्षेत्र महर्षि भृगु परंपरा के ऋषियों की तपोस्थली रही है. इसलिये नर्मदा के पूरे क्षेत्र में आज भी भृगु आश्रमों के अवशेष मिलते हैं.

भगवान शिव ने जब ज्ञान सभा के लिये नैमिषारण्य को सुनिश्चित किया तब इसके अधिपति होने का दायित्व महर्षि भृगु को ही सौंपा. संसार हर कोने में महर्षि भृगु के अपभ्रंश नाम पाये जाते हैं. जो यह प्रमाणित करता है कि महर्षि भृगु ज्ञान के पहले प्रकाश पुंज थे और संसार भर में ज्ञान का प्रकाश भारत की धरती से ही प्रतिबंधित हुआ. इसकी पुष्टि उन्नीसवी शताब्दी के शोध कर्ता मैक्समूलर का वह कथन भी है भारत से ज्ञान पहले ईरान में गया और ईरान से पूरे संसार में. मैक्समूलर का यह कथन उनकी पुस्तक ” हम भारत से क्या सीखें” में है. ऐसे महान अविष्कारक महर्षि भृगु के चरणों में कोटिशः नमन.

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं.)

हिन्दुस्थान समाचार

Tags: Hindu ReligionInventor of FireMaharishi BhriguSanatanVaishakh Purnima
ShareTweetSendShare

RelatedNews

अक्षय तृतीया
Latest News

अक्षय तृतीया पर क्यों की जाती है कुबेर देव की पूजा? जानें शुभ-मुहूर्त और पूजा की विधि

हनुमान जन्मोत्सव
Latest News

Hanuman Janmotsav 2025: हनुमान जन्मोत्सव पर भक्ति में डूबा देश, जानें बजरंगबली की महिमा

मां कात्यायनी
Latest News

Chaitra Navratri 2025: नवरात्र के छठे दिन होती है मां कात्यायनी की आराधना, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Hindi News Year 2025
Latest News

Hindu New Year 2025: हिंदू नव वर्ष क्यों है खास? जानिए पर्वों से जुड़ी मान्यताएं

अररिया: रामनवमी रथयात्रा की तैयारी जोरों पर, लोगों को दिया जा रहा है न्योता
Latest News

अररिया: रामनवमी रथयात्रा की तैयारी जोरों पर, लोगों को दिया जा रहा है न्योता

Latest News

पाकिस्तान ने BSF जवान पूर्णिया कुमार को छोड़ा

भारत की सख्ती के बाद पाक ने BSF जवान को छोड़ा, DGMO की बैठक के बाद हुई रिहाई

भारत पाकिस्तान तनाव

Opinion: यह अल्पविराम है, युद्ध तो होगा ही!

एयर मार्शल AK भारती

ऑपरेशन सिंदूर के हीरो और बिहार की शान एयर मार्शल AK भारती, जाने पूर्णिया की माटी से वायुसेना तक का सफर

‘भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को मात देना नामुमकिन’, प्रेस ब्रीफिंग में DGMO का बड़ा दावा

‘भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को मात देना नामुमकिन’, प्रेस ब्रीफिंग में DGMO का बड़ा दावा

विराट कोहली ने टेस्ट मैच से लिया सिलन्यास

विराट कोहली ने टेस्ट मैट से लिया सन्यास, इंस्टाग्राम पर फैंस पर दी जानकारी

भारत-पाकिस्तान तनाव

ऑपरेशन सिंदूर से सीजफायर तक, भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अब तक क्या-क्या हुआ?

डायमंड लीग में पहली बार होगी भारत की एंट्री

Doha Diamond League: डायमंड लीग में पहली बार भारत के 4 भारतीय एथलीट्स की होगी एंट्री

ग्लोबल मार्केट से पॉजिटिव संकेत

Global Market: ग्लोबल मार्केट से पॉजिटिव संकेत, एशिया में भी तेजी का रुख

बिहार में पकड़ा गया 10 लाख का इनामी अलगाववादी आतंकी

10 लाख का इनामी अलगाववादी आतंकी बिहार से गिरफ्तार, 9 साल पहले जेल से हुआ था फरार

यूपी डिफेंस कॉरिडोर

क्या है यूपी डिफेंस कॉरिडोर? कैसे रक्षा के क्षेत्र में बन रहा आत्मनिर्भर भारत का मजबूत स्तंभ?

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
  • Sitemap

Copyright © Bihar-Pulse, 2024 - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • प्रदेश
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • वीडियो
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • मनोरंजन
  • खेल
  • Opinion
    • लाइफस्टाइल
  • About & Policies
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Disclaimer
    • Sitemap

Copyright © Bihar-Pulse, 2024 - All Rights Reserved.