बिहार में 7 मई को लोकसभा चुनाव के 5 सीटों पर तीसरे चरण का मतदान होना है. जिसमें से झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा व खगड़िया शामिल हैं. इस सीट का अस्तित्व 1972 में आया था. इससे पहले ये सीट मधुबनी में आती थी. जब से झंझारपुर लोकसभा सीट बनी तब से आज तक यहां पिछड़ा या अति पिछड़ समुदाय से ही नेता सांसद बनते आए हैं. इस सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव 1972 में हुआ था. जिसमें कांग्रेस से जगन्नाथ मिश्रा ने जीत हासिल की थी. वर्तमान में जदयू के नेता रामप्रीत मंडल सांसद हैं. रामप्रीत मंडल ने 2019 के आम चुनाव में राजद के गुलाब यादव को हराया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए बनाम इंडी गठबंधन का मुकाबला होगा. जदयू ने एक बार फिर से रामप्रीत मंडल पर भरोसा जताया है. जबकी महागठबंधन की ओर से विकासशील इंसान पार्टी के सुमन कुमार महासेठ को उम्मीदवार बनाया हैं. इस बार के चुनाव में झंझारपुर में 10 प्रत्याशी अपनी किस्मत अजमाएंगे. झंझारपुर लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण और इतिहास काफी दिलचस्प रहा है.
झंझारपुर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
वर्ष 1972 में अस्तित्व में आने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था. यहां से कुल 13 बार चुनाव हुए हैं. इस सीट पर शुरुआती दौर को छोड़कर सिर्फ पिछड़ा या अतिपिछड़ा वर्ग के सांसदों ने जीत दर्ज की है. 1972 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार जगन्नाथ मिश्रा ने जीत दर्ज की थी. 1977 में जनता पार्टी के धनिक लाल मंडल कामयाब हुए थे. इस सीट से राजद के उम्मीदवार देवेंद्र प्रसाद यादव लगातार 5 बार सांसद बने. 1989, 1991, 1996, 1999 और 2004 में देवेंद्र प्रसाद यादव ने जीत हासिल की थी. इस सीट से पहली बार बीजेपी का खाता 2014 में खुला था. बीरेंद्र कुमार चौधरी यहां के सांसद बने थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू NDA गठबंधन का हिस्सा था, सीट शेयरिंग के बाद यह सीट जदयू के खाते में आई थी, रामप्रीत मंडल सासंद बने. इस बार के चुनाव में रामप्रीत मंडल पर जदयू ने दोबारा भरोसा दिखाया है.
झंझारपुर में सियासी समीकरण पर जातीय गणीत
झंझारपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिसमें खजौली, बाबूबरही, झंझारपुर, राजनगर, लौकहा और फूलपरास शामिल हैं. इस सीट पर जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाती है. यहां ब्राह्मण, यादव और अति पिछड़े समुदाय के वोटरों की संख्या अधिक है. जिसमें 35% पिछड़े समुदाय के वोटर्स हैं. मुस्लिम वोटर्स 15 प्रतिशत हैं. ब्राह्मण 20 प्रतिशत तो यादव मतदाता 20 प्रतिशत हैं. जेंडर के अनुसार अगर वोटर्स की संख्या की बात करें तो, यहां कुल मतदाताओं की संख्या 19 लाख 86 हजार 640 है. जिसमें पुरुष मतदाता 10 लाख 36 हजार 772 है. वहीं, महिला वोटर्स की संख्ता 9 लाख 49 हजार 780 है.
यादव वोटरों की संख्या 2 लाख 85 हजार और पिछड़ा-अतिपिछड़ा मतदाता की संख्या 2 लाख 10 हजार है. इसके बाद करीब सवा लाख वैश्य मतदाता हैं. इसलिए झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र की राजनीति में पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के नेताओं के बीच ही इर्द- गिर्द घूमती रहती है. 1972 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर अब तक इस सीट पर केवल पिछड़े समुदाय के उम्मीदवार ही सांसद बने. इस बार के चुनाव में एनडीए वर्सेस इंडी गठबंधन होने वाला है. जिसमें जदयू के रामप्रीत मंडल और महागठबंधन की ओर से विकासशील इंसान पार्टी के सुमन कुमार की बीच सीधी टक्कर होगी.
कौन और कब रहे सांसद?
चुनाव वर्ष | विजेता | पार्टी |
---|---|---|
1972 | जगन्नाथ मिश्रा | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1977 | धनिक लाल मंडल | भारतीय लोक दल |
1980 | धनिक लाल मंडल | जनता पार्टी (एस) |
1984 | जी.एस. राजहंस | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1989 | देवेंद्र प्रसाद यादव | जनता दल |
1991 | देवेंद्र प्रसाद यादव | जनता दल |
1996 | देवेंद्र प्रसाद यादव | जनता दल |
1998 | सुरेंद्र प्रसाद यादव | राष्ट्रीय जनता दल |