बिहार में 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के 5 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है. अब 7 मई को 5 साटों पर तीसरे चरण का मतदान होना है. 1967 में अररिया अस्तित्व में आया था. यहां फिलहाल भाजपा के प्रदीप सिंह सांसद है. इस सीट पर सभी पार्टियों बीजेपी, जदयू, राजद और कांग्रेस को मौका मिला. 1967 से पहले अररिया पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था. इस बार के चुनाव के लिए राजद ने शाहनवाज आलम को टिकट दिया है और भाजपा की ओर से सांसद प्रदीप सिंह उम्मीदवार है. तो आईए एक नजर डालते है यहां के चुनावी इतिहास और जातीय समीकरण पर…
अररिया लोकसभा चुनाव का इतिहास
अररिया अस्तित्व में आने के बाद 1967 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था. वर्ष 1967-2009 तक ये सीट आरक्षित हुआ करती थी. 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद यह सीट सामान्य हो गई. 1967-1977 तक अररिया सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1967 और 1971 में कांग्रेस के उम्मीदवार तुलमोहन राम ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी. 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल घोषित होने के बाद बिहार में ‘जेपी-लहर’के कारण कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1977 के चुनाव में भारतीय लोक दल को सफलता मिली थी.
1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी हुई. डुमर लाल बैठा ने नवल किशोर को हराकर जीत हासिल की. डुमर लाल ने 1984 के चुनाव में भी कामयाबी हासिल की.
सुकदेव पासवान अररिया से 5 बार सांसद रहे
1989 लोकसभा चुनाव में जनता दल की पार्टी से सुकदेव पासवान ने जीत हासिल की. सुकदेव पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी डुमर लाल बैठा को हराया था. इसके बाद 1991, 1996, 1999, 2004 के लोकसभा के चुनाव में कामयाब रहे. लगातार मिली जीत के बाद सुकदेव पासवान एक बड़े नेता के रूप से जाने गए.
2018 के उपचुनाव में राजद को मिली सफलता
राजद के सांसद तस्लीमुद्दीन की मौत होने के बाद 2018 में अररिया लोकसभा सीट में उपचुनाव हुआ था. जिसमें कांग्रेस ने तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को अपना उम्मीदवार बनाया था. सरफराज ने भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को 60 हजार से अधिक वोटों से हराया था.
पिछली बार 2019 में भाजपा नेता प्रदीप कुमार सिंह ने अररिया लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की. उन्होंने सीमांचल के कद्दावर नेता मो. तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को हराया था.
अररिया सीट में जातीय फैक्टर करता है काम
अररिया लोकसभा सीट के अंदर छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें अररिया, जोकीहाट, फारबिसगंज, नरपतगंज, रानीगंज और सिकटी शामिल हैं. एनडीए के सीट बंटवारे में भाजपा के खाते में सीमांचल की केवल एक सीट अररिया आई है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम-यादव (MY) फैक्टर काम करता है. यहां हिंदू वोटरों की संख्या 56.6% हैं और मुस्लिम वोटरों की संख्या 42.9% हैं. 15% यादव वोटर्स हैं. मुस्लिम और यादव मिलकर 59% हो जाते हैं, जो कि हिंदू वोटर से अधिक हैं. इसलिए अररिया सीट पर माय (MY)फैक्टर खास माएने रखता है. इस बार राजद के प्रत्याशी शाहनवाज आलम और भाजपा के सांसद प्रदीप सिंह से सीधी टक्कर होगी.
कौन और कब रहे सांसद?
चुनाव वर्ष | विजेता | पार्टी |
---|---|---|
1967 | तुलमोहन राम | कांग्रेस |
1971 | तुलमोहन राम | कांग्रेस |
1977 | महेंद्र नारायण सरदार | भारतीय लोक दल |
1980 | डुमर लाल बैठा | कांग्रेस |
1984 | डुमर लाल बैठा | कांग्रेस |
1989 | सुकदेव पासवान | जनता दल |
1991 | सुकदेव पासवान | जनता दल |
1996 | सुकदेव पासवान | जनता दल |
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