बिहार में लोकसभा चुनाव के 5 सीटों पर दूसरे फेज की वोटिंग 26 अप्रैल को होनी हैं. जिसमें किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका शामिल हैं. इन सभी सीटों में से पूर्णिया ऐसी सीट है जो काफी सुर्खियों में है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीट से तीन बार सांसद रह चुके पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हो गए थे. लेकिन ये सीट इंडी गठबंधन के बंटवारे में राजद के खाते में चली गई. और राजद ने बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया. पप्पू यादव किसी भी हाल में पूर्णिया सीट नहीं छोड़ना चाहते थे. इसलिए उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया. अब ऐसे में मुकाबला काफी दिलचस्प बन गया है. यहां से राजद ने बीमा भारती को मैदान में उतारा है. जेडीयू ने संतोष कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है. निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पप्पू यादव मैदान में उतरे हैं. आइए जानते हैं पूर्णिया लोकसभा सीट के वर्तमान सियासी समीकरण और इसका पिछला इतिहास.
पूर्णिया लोकसभा सीट का इतिहास
पूर्णिया लोकसभा सीट बिहार के सीमांचल क्षेत्र के अंतर्गत आता है. ये पश्चिम बंगाल के बॉर्डर से जुड़ी हुई हैं. पूर्णिया में अब तक कुल 18 बार लोकसभा चुनाव हुआ है. इस सीट से कई राष्ट्रीय स्तर के कद्दावर नेता चुनाव लड़ चुके हैं और जीत भी हालिस कर चुके हैं. यहां से स्वतंत्रता सेनानी फणी गोपाल सेन गुप्ता, स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य मोहम्मद ताहिर, बाहुबली नेता पप्पू यादव और सीमांचल के दिग्गज नेता मो. तस्लीमुद्दीन लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की हैं. देश की आजादी के बाद 1952 में पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार फणी गोपाल सेन गुप्ता ने जीत दर्ज की थी. फणी गोपाल सेन गुप्ता ने लगातार पूर्णीया से चार बार जीत दर्ज का थी.
कांग्रेस ने 1971 में फणी गुप्ता का टिकट काट कर मोहम्मद ताहिर को चुनावी मैदाने में उतारा था. मोहम्मद ताहिर ने जीत हालिस की थी. वे पूर्णिया के पहले मुस्लिम सांसद थे. इसके बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में मोहम्मद ताहिर को हार का सामना करना पड़ा.
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